Friday, February 13, 2009
Ek baar muskura do
Song for myself and for everybody else who get the blues.
This is one real gem from Md. Rafi/O. P. Naiyaar which somehow didn't get the love and respect it deserves.
नफ़रत से जिन्हें तुम देखते हो ,
तुम मारते हो जिनको ठोकर ,
क्या उनपे गुज़रती है देखो,
इक बार कभी घायल होकर
ज़माने की आंखों ने देखा है यारों , सदा अपनी दुनिया में ऐसा नज़ारा, कभी उनको फूलों से पूजा है सब ने, कभी जिनको लोगों ने पत्थर से मारा ज़माने की आंखों ने देखा है यारों
पिसे न जहाँ तक, पत्थर पे मेंहदी,
किसी भी तरह रंग, लाती नहीं है,
हजारों जगह ठोकरे खा ने ले जब,
कोई ज़िन्दगी मुस्कुराती नहीं है,
बिना ख़ुद मरे, किसको जन्नत मिली है,
बिना दुःख सहे किसने, जीवन सवार
ज़माने की आंखों ने देखा है यारों
भावर से जो घबराके पीछे हटें हैं,
डुबोदी है मौजों ने, उनकी ही नैय्या ,
जो तूफ़ान से टकरा के आगे बड़े हैं,
बिना कोई मांझी, बिना ही खिवैया
कभी न कभी तो, कहीं ना कहीं पर
हमेशा ही उनको, मिला है किनारा
ज़माने की आंखों ने देखा है यारों
यहाँ आदमी को सबक दोस्ती का,
सिखाते हुए जो, लहू में नहाया,
मसीहा बना और गाँधी बना वो,
हजारों दिलों में, यहाँ घर बनाया,
उन्ही की बनी है, यहाँ यादगारें,
उन्ही के जहाँ में, चम्पका सितारा
ज़माने की आंखों ने देखा है यारों
Happy Weekend!!